आम्रपाली कोल परियोजना में आंदोलित रैयतों का आंदोलन समाप्त

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मंत्री सत्यानंद भोक्ता के साथ हुई वार्ता में सीसीएल ने मानी मांगे
चतरा। विगत 17 अगस्त से बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा व विस्थापन के बदले नौकरी व मुआबजा की मांग को ले सीसीएल के आम्रपाली परियोजना के विरुद्ध आंदोलित भू-रैयतों का आंदोलन कल सीसीएल के अधिकारियों के साथ वार्ता के बाद समाप्त हो गया। समाहरणालय स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में झारखंड सरकार के श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण मंत्री सत्यानंद भोक्ता के नेतृत्व में आयोजित समन्वय समिति की बैठक में वार्ता के बाद रैयतों ने आंदोलन वापस लेते हुए धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। बैठक में सिमरिया विधायक किशुन दास, बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद के अलावे सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्ष मौजूद थे।
इधर कल अपराहन चली एक मैराथन बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर श्रम मंत्री ने कल शाम पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि वार्ता के दौरान सीसीएल के अधिकारियों ने रैयतों के लेबर लोडिंग की मांग को मान लिया है। इसके अलावा बैठक के दौरान रैयतों के गैरमजरूआ भूमि पर सीसीएल द्वारा लागू सेक्शन 9 को हटाते हुए नौकरी व मुआवजा की मांग को पूरा करने को ले सिमरिया एसडीओ दीपू कुमार के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया। एसडीओ के नेतृत्व में गठित टीम विस्थापित गांव में जाकर ग्रामीणों के साथ बैठक कर भूमि सत्यापन करते हुए समन्वय स्थापित कर भूमि अधिग्रहण से संबंधित अपनी जांच रिपोर्ट जिला को सौपेगी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही विस्थापितों को जमीन के बदले नौकरी और मुआवजा देने का निर्णय लिया गया। इसके अलावे बैठक के दौरान मंत्री ने सीसीएल प्रबंधन को कोल परियोजनाओं में बाहरी मजदूरों के बजाय 90प्रतिशत स्थानीय मजदूरों को रोजगार सृजित कर काम देने का निर्देश दिया। जिसमें 50प्रतिशत मजदूर स्थानीय टंडवा प्रखंड के होंगे, जबकि 40प्रतिशत जिले के विभिन्न प्रखंडों के बेरोजगार मजदूर होंगे। मौके पर मंत्री ने सीसीएल प्रबंधन के अधिकारियों को रोजगार के इच्छुक मजदूरों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करते हुए पात्रता के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। वार्ता शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने के बाद करीब 10 दिनों से आम्रपाली कोल परियोजना में ठप पड़ा कोल्ड उत्पादन डिस्पैच और लोडिंग का काम शुरू हो गया, जिससे केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार, जिला प्रशासन व सीसीएल प्रबंधन ने राहत की सांस ली है।
गौरतलब है कि करीब 10 दिनों से 4 सूत्री मांगों को लेकर आम्रपाली परियोजना में रैयतों ने कोल उत्पादन, लोडिंग और डिस्पैच का काम ठप करा दिया था। जिससे सरकार को प्रति दिन करोड़ो रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा था।

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