जमशेदपुर : भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक दुर्गापूजा करीब है। असीम आस्था का पर्व दशहरा हमारे उन त्योहारों में से है, जिसे बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। जिसका आयोजन बहुत ही भव्य होता है। जिसके लिए महीनों पहले तैयारी शुरू कर दी जाती है। लेकिन इस बार कोरोना का इफ़ेक्ट हर जगह है। इसलिए मानव हित को ध्यान में रखते हुए दुर्गा पूजा को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है। इस बार बहुत ही सादगी से सरकार और जिला प्रशासन के निर्देशों के मुताबिक ही पूजा समिति ने इस त्योहार को मनाने का फैसला किया है।
जमशेदपुर दुर्गा पूजा केंद्रीय समिति के प्रतिनिधिमंडल ने कोराेना के बीच दुर्गापूजा किस तरह से मनाया जाय इसको लेकर अनुमंडल पदाधिकारी एसडीओ चंदन कुमार से मुलाकात की गई। बैठक में सभी पहलूओं पर विचार विमर्श करने के बाद विभिन्न समितियों के द्वारा यह विचार हुआ कि किसी भी पूजा स्थल पर ढाकी बाजे का प्रयोग नहीं होगा। कोई भी कारीगर के द्वारा प्रसाद का भोग नहीं बनाया जाएगा। किसी भी पूजा स्थल पर आम जनता का थाली अथवा अन्य सामानों की पूजा नहीं लिया जाएगा। पुष्पांजलि की भी व्यवस्था पूजा समितियों को बदलनी होगी। यानी पांच पांच व्यक्तियों के द्वारा ही संपन्न करेंगे। इस बार मां की मूर्ति का निर्माण पूजा स्थल पर कहीं भी नहीं होगा। किसी भी पूजा मैदान में मेले का आयोजन नहीं होगा। सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी छोटी मूर्ति लगभग 4 से 5 फीट की बनाकर ही पूजा करेंगे। किसी भी समिति के द्वारा पंडाल का निर्माण नहींं किया जाएगा। टेंट, तंबू, छावनी लगाकर ही देवी मां की पूजा की जाएगी।
समिति ने तय किया कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए मां दुर्गा की पूजा को संपन्न कराई जाएगी। इस पर अनुमंडल पदाधिकारी ने समिति के द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना की और कहा कि आने वाले दिनों में किसी को भी यह ज्ञात नहीं है कि परिस्थिति क्या होने वाली है। मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लोगों की धार्मिक भावनाओं को व समिति के द्वारा दिए गए सुझाव पर विचार विमर्श करने के बाद प्रशासन के द्वारा भी बहुत जल्द ही गाइडलाइन जारी की जाएगी। इस प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से उपाध्यक्ष आशुतोष सिंह सचिव अशोक सिन्हा शिव शंभू मुखी और सत्येंद्र कुमार मौजूद थे।
वर्तमान में यह निर्देश दिया गया है कि भारतीय सनातन धर्म की आवश्यकता व मौजूदा परिस्थिति में कोरोना की कार्यवाही को देखते हुए अभी तक यह सुनिश्चित हुआ है कि मां दुर्गा की पूजा का कार्यक्रम छोटे स्तर पर धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय संस्कार व धर्म को जिंदा रखने के लिए कार्यक्रम वही की जाएगी जो समाज हित राज्य हित में होगा और जिला प्रशासन द्वारा निर्देशित हो।