कोरोना संक्रमण काल में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने जिस साहस और संवेदना का परिचय दिया, वह एक मिसाल : ओंकार नाथ

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जमशेदपुर : एक ऐसा सख्श जिसने खुद की परवाह किए बिना दिन रात राज्य और क्षेत्र के लोगों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया हो। स्वास्थ्य सुविधाओं को पटरी पर लाने के लिए स्वयं मरीज़ बनकर रिम्स में सिर्फ इसलिए भर्ती होता है कि व्यवस्था में सुधार हो और लोगों के मन में सरकारी व्यवस्था के प्रति विश्वास जगे। अपने राज्य के युवा मुख्यमंत्री के संकल्प को पूरा कर एक नई शुरुआत हो और विषम परिस्थितियों में जबकि समाज और सरकार का हर संभव प्रयास है कि सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेंन हो। ऐसे में भी संभावित खतरे की परवाह किए बिना अपने क्षेत्र और राज्य के लोगों से लगातार संपर्क में रहकर उनके सुख दुःख का साथी बना रहे। उसपर भी उंगली उठाई जाय तो यह न सिर्फ मानवता के प्रति असंवेदनशीलता है। बल्कि ईश्वर को भी दुःख पहुँचाने वाला है।

उक्‍त बातें मानगो विकास समिति के अध्‍यक्ष ओंकार नाथ सिंह ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री युवा साथी बन्ना गुप्ता को लेकर कहा। उन्‍होनें बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जहांं बड़े बड़े राजनेताओं ने लोगों से किनारा कर लिया और किसी से भी मिलने जुलने से मना कर दिया। ऐसे में भी बन्ना गुप्ता ने लगातार लोगों से मिलने जुलने और उनकी हर समस्या को निपटाने के लिए पहल करने का मानवता पूर्ण कार्य जारी रखा था और शायद यही कारण है कि वे स्वयं संक्रमित हुए हैं। ऐसे में भी ओछी राजनीति करने वाले उनपर यह आरोप लगा रहे हैं कि जो स्वयं को कोरोना से नहीं सुरक्षित कर पाया वह राज्य की जनता की सुरक्षा कैसे कर पाएगा। यह निहायत ही अनैतिक और मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य है।

उन्‍होनें कहा अगर हम निरपेक्ष भाव से सोचें तो समझ में आएगा कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने जिस साहस और संवेदना का परिचय दिया है वह एक मिसाल है। ऐसे व्यक्ति की तारीफ और हौसला अफजाई होनी चाहिए न कि नुक्ताचीनी। उन्‍होने स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया है कि आप इसी प्रकार जनहित में समर्पित रहें और बिलकुल विचलित न हों। “कर भला तो हो भला”, आप बिना प्रशंसा और निंदा के जनहित में समर्पित होकर कार्य करते रहें।

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