झारखंड के भू-राजस्व सचिव केके सोन ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और उपायुक्तों को पत्र लिखकर सीएनटी और एसपीटी एक्ट के नियमों में उल्लंघन नहीं होने देने और एसटी, एससी व पिछड़ा वर्ग के सदस्यों के हितों का संरक्षण करने के निर्देश दिये हैं। सचिव ने विभाग के कार्यों को लेकर प्राथमिक स्तर पर ठोस कार्रवाई करने के लिए कहा है। पत्र में कहा गया है कि अनुसूचित जनजातियों की भूमि वापसी के मामले सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। अनुसूचित जनजातियों की भूमि वापसी के मामले विभाग की प्राथमिकता में हैं। इनसे जुड़े मामलों में विशेष अभियान चलाकर अंचलाधिकारियों को दखल-दिहानी दिलाने का निर्देश दिया गया है। कहा गया है कि वैसे सभी मामलों में, जिनमें एसएआर कोर्ट के फैसलों के विरुद्ध रिवीजन, अपील या स्थगन का आदेश नहीं है, उनमें आवश्यकतानुसार दंडाधिकारी और पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति करते हुए दखल-दिहानी दिलाने की कार्यवाही शुरू करें।सचिव ने कहा है कि भुंइहरी, गैरमजरूआ, आदिवासियों की भूमि की अवैध खरीद-बिक्री, दाखिल-खारिज को प्रतिबंधित करने के लिए विभागीय स्तर पर कई आदेश दिये गये हैं। सीएनटी की धारा-46 और 49 का सख्ती से अनुपालन कराने के लिए कई पत्र दिये गये हैं। जिलों में मुंडारी खूंटकट्टी समिति का गठन किया गया है। लेकिन, उसकी बैठकों की कार्यवाही विभाग को नहीं भेजी जा रही है। राज्य में अवैध या संदेहास्पद जमाबंदी को अभियान चला कर जांच करते हुए रद्द करने का निर्देश दिया गया है। सुयोग्य भूमिहीनों को चिह्नित कर उनको भूमि उपलब्ध कराते हुए उनके नाम से कायम जमाबंदी नियमित करने के लिए कहा गया है।निबंधन और क्षेत्रीय राजस्व कार्यालयों में अनियमितता की शिकायत पर जतायी नाराजगी।