[su_box title=”धनबाद से बहुत गहरा रिश्ता रहा है महेंद्र सिंह धोनी का, पढ़े कुछ अनछुए और भावुक पल धोनी के…” style=”glass” box_color=”#231401″ title_color=”#94f419″ radius=”0″][/su_box]
[su_button url=”www.mirrormedianews.com” target=”blank” style=”3d” background=”#fd2e13″ color=”#f8f6f6″ radius=”5″ icon_color=”#171414″ text_shadow=”7px 38px 22px #81f32e”]MIRROR MEDIA[/su_button] : एक लम्बे अंतराल के बाद आख़िरकार महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी सफल और श्रेष्ठतम क्रिकेट के दौर से सन्यास लें ही लिया है। वैसे तो भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफलतम कप्तानों में गिने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी देशभर के क्रिकेट प्रेमियों के चहेते हैं, लेकिन धनबाद से भी इनका रिश्ता कुछ कम नहीं है। फिर चाहे वो रणजी ट्रॉफी खेलने की बात हो या अपने तनाव भरे दिन बिताने हो या फिर दोस्तों के साथ मस्ती की बात हो सभी में माही को धनबाद ने बहुत नजदीक से देखा है।
रेलवे में नौकरी लगने से लेकर इंडियन क्रिकेट टीम के पुराने खिलाड़ियों को हटाने को लेकर उपजे विवाद के समय संबल देने में यहां के साथियों ने माही का साथ दिया। धनबाद के रेलवे अस्पताल कॉलोनी के जगलेश क्वार्टर निवासी सत्यप्रकाश कृष्णा ने माही के लिए 2000-2001 में खड़गपुर के तत्कालीन डीआरएम एके गांगुली के पास रेलवे में टीसी की नौकरी के लिए सिफारिश की थी।
[su_box title=”सत्तू दा थे माही के मार्गदर्शक, रेलवे में नौकरी दिलवाने के साथ तनाव में देते थे साथ” style=”glass” box_color=”#231401″ title_color=”#94f419″ radius=”0″][/su_box]
MS Dhoni-The Untold Story: सत्तू दा थे माही के मार्गदर्शक, रेलवे में दिलवाई नौकरी, तनाव के दिनों में दिया साथ सत्यप्रकाश बताते हैं कि माही के साथ दोस्ती पुरानी है। जब वे संघर्ष कर रहे थे तब से हमलोग साथ रहे हैं। उनके हर सुख-दुख में हमलोग हमेशा साथ खड़े रहे हैं। माही सत्यप्रकाश को बड़ा भाई मानते हैं और उसी तरह सम्मान भी करते हैं। प्यार से सत्तू दा कहकर बुलाते थे। सत्य प्रकाश उर्फ सत्तू दा इस समय भूली में रह रहे हैं। बात उस समय की है जब माही बुरे दौर से गुजर रहे थे। पिता पान सिंह तोमर 2000 में रिटायर हो चुके थे। लाख कोशिशों के बावजूद धोनी का चयन नहीं हो पा रहा था। दिलीप ट्राफी खेलने का मौका मिला, लेकिन समय पर जानकारी न मिलने के कारण वो भी हाथ से चला गया। थक हारकर खड़गपुर में स्पोर्ट्स कोटे पर बतौर टिकट कलेक्टर की नौकरी ज्वाइन कर ली। इस नौकरी के लिए सत्यप्रकाश ने डीआरएम के समक्ष माही का नाम सुझाया था। यह बात 2001 से 2004 की है। सत्यप्रकाश भी रेलवे में नौकरी करते थे और माही भी उनके ही कमरे में साथ रहते थे। दोनों ही रेलवे स्टेडियम में प्रैक्टिस भी करते थे।
[su_box title=”धनबाद में लगभग छह माह अपने तनाव भरे दिन गुजारे थे धोनी” style=”glass” box_color=”#231401″ title_color=”#f419dd” radius=”0″][/su_box]
खड़गपुर में रेलवे की नौकरी करते हुए माही को तीन साल हो गए थे, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद धोनी का कहीं चयन नहीं हो पा रहा था। इस तनाव में भूली निवासी सत्यप्रकाश और मिहिर दिवाकर ने माही का भरपूर साथ दिया। मिहिर भी धौनी के साथ क्रिकेट खेला करते थे। इस बीच वह छुट्टी लेकर धनबाद में रहने वाले अपने दोस्तों के पास पहुंच गए।[su_image_carousel source=”media: 45820,45822″ limit=”7″ slides_style=”photo” columns=”2″ align=”left” captions=”yes” autoplay=”4″ image_size=”medium”] धनबाद स्टेशन के पास रेलवे के स्पोर्ट्स हॉस्टल में धोनी अपने दोस्तों के साथ रहे। इस दौरान धोनी अपने दोस्त सत्यप्रकाश कृष्णा के घर भूली में भी कुछ दिन रहे। माही ने धनबाद में लगभग छह माह अपने तनाव भरे दिन गुजारे थे। दोनों ने माही को प्रोत्साहित किया। इसके कुछ दिन बाद ही माही का चयन अंडर-19 और फिर भारत-ए में हो गया।