मिरर मीडिया:यूपी एसटीएफ ने घटतौली में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक तराजू की फैक्ट्री का भण्डाफोड़ करते हुए इसके संचालक को गिरफ्तार किया है। सोमवार को एसटीएफ ने कृष्णानगर स्थित फैक्ट्री में छापेमारी करके 172 निर्मित/अर्द्धनिर्मित तराजू व इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाले उपकरण बरामद किए। चौंकाने वाली बात यह है कि, यह फैक्ट्री बांट-माप विभाग से रजिस्टर्ड थी। लेकिन, यहां प्रोग्राम्ड मदरबोर्ड लगे तराजू तैयार किए जाते थे। जिसकी मदद से दुकानदार अपनी इच्छानुसार सामान का वजन कम या ज्यादा दर्शा सके। अधिकारियों के मुताबिक फैक्ट्री से तराजू खरीदने वाले लोगों का ब्योरा जुटाया जा रहा है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी अमित कुमार नागर ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक तराजू या इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन का जो मेन सर्किट हैl उसके मदर बोर्ड से छेड़छाड़ कर ये गड़बड़ी की जाती हैl हालांकि, नामी कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक तराजू में मदरबोर्ड से छेड़छाड़ संभव नहीं है, लेकिन कुछ सस्ते और चालू कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक तराजू में मदरबोर्ड से छेड़छाड़ करके एक चिप लगा दी जाती है जो किसी भी वजन को घटा या बढ़ा कर दिखा सकता हैl
30 किलो भार क्षमता वाला इलेक्ट्रॉनिक तराजू दो हजार रुपये में वहीं, 100 किलो तौल क्षमता वाले तराजू की बिक्री 3500 से चार हजार रुपये में होती थीlवहीँ ऐसा इलेक्ट्रॉनिक तराजू बाजार में नामी कंपनियों के इलेक्ट्रॉनिक तराजू से सस्ता भी मिलता है और इसमें छेड़छाड़ करना भी संभव होता हैl लिहाजा यही वजह है कि, अब ज्यादातर दुकानों पर यही सस्ते और घटतौली वाले तराजू मिलते हैंl चिप लगाने के बाद बाजार में उपलब्ध चाइनीज रिमोट से दूर से ही कण्ट्रोल किया जा सकता हैl
इलेक्ट्रॉनिक तराजू में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स दिल्ली, हरियाणा, गुजरात व मध्य प्रदेश से आते हैं। इसके अलावा कुछ सामान चीन से भी आता था। उसकी फैक्ट्री में पार्ट्स को एसेम्बल करके तराजू तैयार किया जाता था, जिनमें बाद में मदरबोर्ड अलग से जोड़ी जाती थी। इलेक्ट्रॉनिक तराजुओं के प्रिंटेड सर्किट बोर्ड में ही ऐसी प्रोग्रामिंग की जाती है जिससे कि उसे दो अलग-अलग मानक पर सेट किया जा सके। इसे गोपनीय बटन या रिमोट से पलक झपकते एक मानक से दूसरे मानक पर परिवर्तित किया जा सकता है।